Guidelines


स्वास्थ्य अनुसंधान में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग/अनुसंधान परियोजनाओं के लिए
दिशा-निर्देश; सहमति ज्ञापन
अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं मानव संसाधन विकास प्रभाग

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने भारत और अन्य देशों/अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के बीच जैव चिकित्सा अनुसंधान में सहयोगी समन्वय के लिए 1980 के दशक की शुरुआत में परिषद मुख्‍यालय में एक भारत-विदेश कक्ष (इंडो-फॉरेन सेल) (आईएफसी) की स्थापना की थी। वर्ष 2000 में आईएफसी (IFC) को अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रभाग (IHD) में अपग्रेड किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं साझेदारी

आपसी हित के अनुसंधान क्षेत्रों में सरकारों, शिक्षाविदों, संस्थानों और उद्योगों के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाने और मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और/या क्षेत्रीय सहयोगी ढांचे के तहत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मांगा जाता है। हाल ही में, भारत और विदेशी देशों के बीच जैव चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्रों में सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) पर के सहयोगी समझौते भारत के अन्य देशों के साथ कई द्विपक्षीय हुए हैं। आईसीएमआर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, विदेशों में भारतीय मिशनों और भारत में विदेशी मिशनों के साथ धनिष्‍ठतम सहयोग के साथ काम करता है।

सामान्‍यत: कुल मिलाकर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सभी द्विपक्षीय समझौतों में जैव चिकित्‍सा अनुसंधान/स्वास्थ्य विज्ञान को प्रमुखता से शामिल किया गया है। इसके अलावा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अन्य देशों के साथ और इसके साथ ही आईसीएमआर द्वारा अपने समकक्ष अंतर्राष्ट्रीय संगठनों/संस्थानों के साथ सीधे हस्ताक्षर किए गए कुछ विशिष्ट समझौते हुए हैं। इन समझौतों का उद्देश्य निम्नलिखित है: (i) वैज्ञानिक जानकारी का आदान-प्रदान; (ii) परियोजनाओं के तहत प्रशिक्षण के लिए वैज्ञानिकों/तकनीशियनों का आदान-प्रदान (iii) वैज्ञानिक उपकरणों की खरीद में सहायता सहित वैज्ञानिक परियोजनाओं को संयुक्त रूप से निपटाना; और (iv) सहयोग के चिन्हित विषयों में संयुक्त वैज्ञानिक बैठकों, सेमिनारों, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों का आयोजन करना।

आईसीएमआर और विभिन्न सहयोगी वैश्विक निकायों के बीच हस्ताक्षरित सहमति ज्ञापन (एमओयू) / संयुक्त वक्तव्य / प्रयोजन पत्र नीचे दिए गए हैं:

1. इंडो-जर्मन कार्यक्रम जनवरी/मार्च, 1974 में (डीएसटी द्वारा समन्वित) हस्ताक्षरित विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर इंडो-एफआरजी करार और उसके बाद आईसीएमआर-जीएसएफ (अब डीएलआर, बीएमबीएफ ने अधिग्रहण कर लिया गया) के तहत चल रहा है। जनवरी/फरवरी, 1976 में जैव चिकित्सा विज्ञान में सहयोग के लिए विशेष व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए। आईसीएमआर-जीएसएफ सहयोग का मई, 1990 में नवीनीकरण किया गया और नवंबर, 2005 में नई दिल्ली/बॉन में एक परिशिष्ट पर हस्ताक्षर करके इसे और मजबूत किया गया। इस समझौते के तहत सहयोग के क्षेत्रों में एड्स, अर्बुदविज्ञान(ऑन्कोलॉजी), परिवार नियोजन और प्रजनन सहित संक्रामक रोग शामिल हैं, जिसमें जन्म नियंत्रण, मां और बच्चे का स्वास्थ्य, प्रसवपूर्व चिकित्सा, पारंपरिक चिकित्सा के वैज्ञानिक आधार पर अनुसंधान और संरचना और औषधीय गुणों, प्राकृतिक उत्पाद, पर्यावरण विष विज्ञान, उष्णकटिबंधीय रोगों/संक्रामक रोगों से संबंधित औषधी का विकास, जैव नैतिकता, रोगाणुरोधी प्रतिरोध क्षमता और मानव स्वास्थ्य से संबंधित अन्य जैव चिकित्सा अनुसंधान के पहलूओं पर जोर दिया गया है।

2. चिकित्सा विज्ञान/स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग के लिए दिसंबर, 2021 में आईसीएमआर, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और डॉयचे फोर्सचुंग्सगेमिंसचाफ्टे.वी. जर्मनी (डीएफजी) के बीच एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस एमओयू के तहत सहयोग के प्रस्तावित क्षेत्र विष विज्ञान, उपेक्षित (उष्णकटिबंधीय) रोगों और दुर्लभ बीमारियों के क्षेत्र शामिल हैं।

3.वर्ष 1989 की शुरूआत में, आईसीएमआर और फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च (आईएनएसईआरएम) के बीच एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे और वर्ष 2000 में उसका नवीनीकरण किया गया था। दिसंबर, 2010 में, फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति के प्रतिनिधिमंडल की भारत यात्रा के दौरान प्रतिरक्षाविज्ञान/रुधिरविज्ञान के क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय एसोसिएटेड प्रयोगशाला (आईएएल) की स्थापना करने के प्रयोजन से आईसीएमआर और आईएनएसईआरएम के बीच तत्कालीन सचिव, स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान विभाग, स्‍वा.एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय, भारत सरकार और महानिदेशक, आईसीएमआर और सीईओ, अध्यक्ष, आईएनएसईआरएम, में के बीच नई दिल्ली में एक प्रयोजन-पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए गए थे।
फ्रांस के माननीय राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान 10 मार्च, 2018 को नई दिल्ली में आईसीएमआर-आईएनएसईआरएम ने इस एमओयू का नवीनीकरण किया। संयुक्त अनुसंधान में अपने हितार्थ पहचाने गए पारस्परिक क्षेत्रों यथा- मधुमेह और चयापचय संबंधी विकारों; जीन संपादन और दुर्लभ बीमारियों के नियामक मुद्दों पर ध्यान देने के साथ-साथ जैव-एथिक्‍स में सहयोग किया जाएगा । इस एमओयू का पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से 10 मार्च, 2022 में आगामी 4 वर्ष की अवधि के लिए नवीनीकरण किया गया।

4.पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य, चोटों की रोकथाम और नियंत्रण पर भारत-अमेरिका संयुक्त वक्तव्य पर पहले 2002 में हस्ताक्षर किए गए थे और जून, 2006 में इसका नवीनीकरण किया गया था। पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य, चोटों की रोकथाम और नियंत्रण अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे का विकास और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने और विकसित करने के उद्देश्‍य से जून, 2015 में इस संयुक्त वक्तव्य का एमओयू के रूप में नवीनीकरण किया गया है। पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से आगामी पांच वर्षों के लिए जून, 2020 में इसका नवीनीकरण किया गया।

5. मधुमेह अनुसंधान पर भारत-अमेरिका संयुक्त वक्तव्य पर जून, 2012 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हस्ताक्षर किए गए थे और 2017 में पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से इसका नवीनीकरण किया गया था। सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं का उद्देश्य मुख्य रूप से वैज्ञानिक ज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण की आवश्यकताओं के माध्यम से क्षमता निर्माण, रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए टीके जैसे उपकरण विकसित करना और रोग की रोकथाम, उपचार और उन्मूलन पर सहयोग करना है। इसके अलावा इसका उद्देश्‍य, मधुमेह के अंतर्निहित आणविक और जैविक तंत्र की बेहतर समझ बनाना, आनुवंशिकी, सामाजिक और पर्यावरणीय निर्धारकों की विशेषता बताना और मधुमेह की रोकथाम और उपचार में सुधार के लिए नवीन दृष्टिकोणों की पहचान करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने हेतु अनुसंधान परिणामों की नीतियों और कार्यों का अनुवाद करने के लिए लागत प्रभावी उपकरण और दृष्टिकोण विकसित करना है।
आईसीएमआर और एनआईडीडीके के बीच क्रमश 10 वर्षों की अवधि के लिए 15 जून, 2023 और 29 जून, 2023 को एक कार्यान्वयन व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यान्वयन व्यवस्था पर स्वास्थ्य और जैव-चिकित्‍सा विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित डीएचएचएस और एमओएचएफडब्ल्यू के बीच 28 सितंबर, 2021 को नई दिल्ली में हस्ताक्षरित सहमति ज्ञापन के अनुसार हस्ताक्षर किए गए थे।

6. भारत के राष्‍ट्रीय यक्ष्‍मा अनुसंधान संस्‍थान, चेन्‍नई में एक अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टतम अनुसंधान केंद्र पर सहयोग के लिए आईसीएमआर और एनआईएच के बीच सहमति ज्ञापन पर जून, 2003 में हस्ताक्षर किए गए और मई, 2008 में इसका आगे विस्तार किया गया। वैज्ञानिक फोकस वाली चल रही गतिविधियों को जारी रखने और उष्णकटिबंधीय संक्रमण और एलर्जी रोगों की रोकथाम, निदान और उपचार की तकनीकियों पर जोर देने के साथ-साथ जानपदिकरोग विज्ञान, आणविक जीव विज्ञान,चिकित्‍सा कीटविज्ञान,परजीवीविज्ञान,प्रतिरक्षाविज्ञान जीवाणुविज्ञान,सूक्ष्‍मजीव विज्ञान ,विषाणुविज्ञान आदि के क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करना था। जनवरी, 2017 में, पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से इस सहयोग का आगे के लिये नवीनीकरण किया गया। सितंबर, 2021 में यूएसए/भारत ने इस एमओयू को दस वर्षों के लिए नवीनीकरण किया गया।

7. 2 फरवरी, 2022 को आईएवीआई द्वारा फिलाडेल्फिया में आईसीएमआर, द्वारा 15 फरवरी, 2022 को नई दिल्ली में, डीबीटी द्वारा 24 फरवरी, 2022 को नई दिल्ली में और इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनिशिएटिव (आईएवीआई), यूएसए के बीच एक त्रिपक्षीय सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह सहमति ज्ञापन एचआईवी, कोविड-19, तपेदिक और अन्य उभरती और संक्रामक और उपेक्षित बीमारियों सहित भारत और विश्व स्तर पर संबंधित बीमारियों को रोकने, उनके निदान और / या उनके उपचार के लिए सहयोग करने का प्रस्ताव देता है; उत्पाद विकास जिसमें ट्रांसलेशनल रिसर्च, प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल विकास, सामुदायिक जुड़ाव और सामाजिक-व्यवहार अनुसंधान, कम लागत वाला विनिर्माण, सार्वजनिक स्वास्थ्य तक की पहुंच आदि शामिल हैं।

इससे पहले, एक या अधिक सुरक्षित और प्रभावी एड्स वैक्सीन के विकास और मूल्यांकन पर अपने अनुभवों और संसाधनों के सहयोग और योगदान के लिए आईसीएमआर और इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनिशिएटिव (आईएवीआई), यूएसए

के बीच क्रमशः अक्टूबर/नवंबर, 2014 में न्यूयॉर्क/नई दिल्ली में एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थें।

8. भारत के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय; संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के राष्ट्रीय एलर्जी और संक्रामक रोग संस्थान (एनआईएआईडी); और, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ), यूएसए के बीच अक्टूबर/नवंबर, 2019 में एक त्रिपक्षीय डीओआई पर हस्ताक्षर किए गए थे और 17 नवंबर को आईसीएमआर मुख्यालय, नई दिल्ली में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष श्री बिल गेट्स की यात्रा के दौरान इसका आदान-प्रदान किया गया था। यह सहयोग अनुसंधान का विस्तार करने के लिए भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में युवा वैज्ञानिकों के लिए एक नैदानिक अनुसंधान फेलोशिप कार्यक्रम स्थापित करेगा जो नैदानिक अभ्यास में सुधार करने और दोनों देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की खोज को आगे बढ़ाएगा। इस फ़ेलोशिप कार्यक्रम का प्रारंभिक ध्‍यान संक्रामक रोग और प्रतिरक्षा विज्ञान अनुसंधान में लगे वैज्ञानिकों के लिए है, जिसमें महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाली बीमारियों पर जोर दिया जाएगा।

9. आईसीएमआर और ग्लोबल अलायंस फॉर क्रॉनिक डिजीज (जीएसीडी) के बीच अप्रैल, 2011 में एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। जीएसीडी के संस्थापक सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सहयोग के कुछ प्राथमिकता वाले क्षेत्र हृदयवाहिकीय रोगों की रोकथाम हैं; मधुमेह और मोटापे के नियंत्रण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय; लक्षण वर्णन, जोखिम कारकों (तंबाकू और पर्यावरण प्रदूषण) की मात्रा का निर्धारण, और क्रोनिक प्रतिरोधी वायुमार्ग रोग, कैंसर हृदय रोग और अन्य विकारों के लिए नियंत्रण उपायों का विकास; और इन तथा अन्य प्राथमिकताओं को संबोधित करने के लिए हस्तक्षेपों का कार्यान्वयन अनुसंधान शामिल है। रणनीति बोर्ड की बैठकों के माध्यम से कार्यक्रम की समय-समय पर समीक्षा की जाती है।

10.उपेक्षित बीमारियों में सहयोग के लिए आईसीएमआर और ड्रग्स फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव (डीएनडीआई), स्विट्जरलैंड के बीच अक्टूबर, 2015 में नई दिल्ली में एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका सितंबर, 2020 में पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से पांच वर्षों के लिए नवीनीकरण किया गया था।

11. मार्च, 2021/अप्रैल, 2021 में आईसीएमआर और जीएआरडीपी फाउंडेशन ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस रिसर्च एंड इनोवेशन, स्विट्जरलैंड के बीच क्रमशः आईसीएमआर, नई दिल्ली और जीएआरडीपी, स्विट्जरलैंड में एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह सहमति ज्ञापन एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध; अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में भारत और जीएआरडीपी के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा।

12.वैक्सीन विकास करने के क्षेत्र में आईसीएमआर, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन संस्थान, दक्षिण कोरिया के बीच एक त्रिपक्षीय सहमति ज्ञापन पर अगस्त, 2017 में नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम की समय-समय पर न्यासी बोर्ड की बैठकों के माध्यम से समीक्षा की जाती है। वैक्सीन अनुसंधान के लिए आईसीएमआर-आईवीआई सहयोग केंद्र के पदनाम और संचालन के लिए दिसंबर, 2020 में एक ईओआई पर हस्ताक्षर किए गए थे।

13. आईसीएमआर और अफ्रीकी संघ (एयू) के बीच 27 मार्च, 2019 को आईसीएमआर, नई दिल्ली में एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह परिकल्पना की गई है कि संक्रामक और असंचारी रोगों और स्वास्थ्य के अन्‍य विशिष्ट मुद्दों (जैसे एचआईवी/एड्स, तपेदिक, कैंसर, उभरते और पुन: उत्‍पन्‍न होने वाले संक्रमण, वेक्टर नियंत्रण, स्वास्थ्य प्रणाली) सहित जानपदिक रोग विज्ञान पर अफ्रीका और भारत के बीच समानताएं है, जिन्‍हें जनसंख्या-आधारित अध्ययन और रोग विशिष्ट उत्पाद विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाले सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यक्रमों के माध्यम से अच्छी तरह से पता लगाने और रोग विशिष्ट उत्पाद विकास और मनुष्यों में अनुसंधान साक्ष्य और सत्यापन के माध्यम से एसडीजी को संबोधित किया जा सकता है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रशिक्षण और व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से स्वास्थ्य विज्ञान में अफ्रीकी उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जाएंगे।

भारत-अफ्रीका स्वास्थ्य विज्ञान सहयोग पर एयू और आईसीएमआर के बीच 3 साल की अवधि के लिए सहमति ज्ञापन के प्रथम परिशिष्ट पर क्रमशः 29 सितंबर, 2023 और 18 अक्टूबर, 2023 को हस्ताक्षर किए गए थे।

14. म्यांमार के माननीय राष्ट्रपति जी की भारत यात्रा के दौरान 27 फरवरी, 2020 को स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और म्यांमार के स्वास्थ्य और खेल मंत्रालय के चिकित्सा अनुसंधान विभाग (डीएमआर) के बीच एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह सहयोग संक्रामक रोगों के उन्मूलन, पुन:उत्‍पन्‍न होने वाले और वायरल संक्रमणों के लिए नेटवर्क प्लेटफॉर्म का विकास, अनुसंधान पद्धति प्रबंधन, नैदानिक परीक्षणों, नैतिकता आदि में प्रशिक्षण/क्षमता निर्माण और नियामक तंत्र के सामंजस्य के क्षेत्रों में है।

15. आईसीएमआर और नेपाल स्वास्थ्य अनुसंधान परिषद (एनएचआरसी), नेपाल के बीच एक सहमति ज्ञापन पर क्रमशः आईसीएमआर, नई दिल्ली और एनएचआरसी, नेपाल द्वारा नवंबर, 2020/जनवरी, 2021 में हस्ताक्षर किए गए थे। इस एमओयू का उद्देश्य स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना है। पारस्परिक हित के संयुक्त अनुसंधान के लिए जैसे: (i) सीमा पार स्वास्थ्य मुद्दे, आयुर्वेद/पारंपरिक चिकित्सा और औषधीय पौधे, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य, असंचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य, जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री के सहयोगात्मक क्षेत्र शमिल है। उष्णकटिबंधीय रोग (वेक्टर जनित रोग जैसे डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, जेई आदि), इन्फ्लूएंजा, क्लिनिकल परीक्षण रजिस्ट्री, स्वास्थ्य अनुसंधान एथिक्‍स और पारस्परिक हित का कोई अन्य क्षेत्र (ii) ज्ञान, कौशल, उपकरण और साथियों के आदान-प्रदान के माध्यम से क्षमता निर्माण (iii) स्वास्थ्य अनुसंधान से संबंधित उपकरण, दिशानिर्देश, प्रोटोकॉल और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए सहयोग करना है।

16. नवंबर, 2021 में आईसीएमआर, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम के बीच एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों पक्ष आमतौर पर सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समूहों को प्रभावित करने वाली संक्रामक बीमारियों और उभरती स्वास्थ्य स्थितियों के क्षेत्र में अपने पारस्परिक लाभ के लिए मिलकर काम करने का प्रयोजन रखते हैं। इसका उद्देश्य पुराने स्थानिक रोगों के साथ-साथ उभरती स्वास्थ्य चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए डाटा प्लेटफ़ॉर्म विकसित करने की दिशा में काम करना है।

17. बैंकॉक में भारत और थाईलैंड के बीच आयोजित 9वीं संयुक्त आयोग की बैठक के दौरान 17 अगस्त, 2022 को आईसीएमआर और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय, थाईलैंड के चिकित्सा सेवा विभाग के बीच एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह सहयोग नवोन्वेषी चिकित्सा सेवा और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्रों में है, लेकिन फार्माकोजेनोमिक्स, टीके, दवा प्रतिरोध निदान परीक्षण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उभरती और पुन: उत्‍पन्‍न होने वाली संक्रामक बीमारियों, जीनोमिक और सटीक चिकित्सा तक सीमित नहीं है; स्वास्थ्य कर्मियों और शोधकर्ताओं की क्षमता वृद्धि; अनुसंधान (स्वास्थ्य के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया अनुसंधान सहयोग के लिए क्षेत्रीय प्रवर्तक) मंच; और सहयोग के अन्य क्षेत्र जो पारस्परिक रूप से निर्धारित किए जा सकते हैं।

18. भारत के माननीय तत्कालीन राष्ट्रपति जी की स्वीडन यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग के तहत भारत-स्वीडन के बीच जून, 2015 को स्टॉकहोम में आईसीएमआर और स्वीडिश रिसर्च काउंसिल फॉर हेल्थ वर्किंग लाइफ एंड वेलफेयर (फोर्टे) के बीच एक प्रयोजन ज्ञापन (एमओआई) पर हस्ताक्षर हुए । इस प्रयोजन ज्ञापन का उद्देश्य उम्र बढ़ने और स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वीडन और भारत के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना है ताकि बुजुर्गों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर जनसांख्यिकीय परिवर्तन और प्रवासन के प्रभाव की समझ को बढ़ाया जा सके और बुजुर्गों की देखभाल के तरीकों और प्रणालियों को बढ़ाना और आईसीटी सहायक प्रौद्योगिकी का उपयोग और बुजुर्गों में पोषण से संबंधित मुद्दों का समाधान किया जा सके।

19. भारत और कोलंबिया के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के महत्व के विषयों -स्वास्थ्य अनुसंधान को संबोधित करने, क्षमता निर्माण और पारस्परिक हित के अनुसंधान क्षेत्रों के लिए निरंतर सहयोग विकसित करने के उद्देश्‍य से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) और स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय और विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार मंत्रालय, कोलंबिया के बीच एक एलओआई पर 2 अक्टूबर, 2021 को नई दिल्‍ली में हस्ताक्षर किए गए।

20. वैक्सीन अनुसंधान, विकास और नवाचार पर सहयोग के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और एपीडेमिक प्रीपेरेडनेस इनोवेशंस (सीईपीआई), नॉर्वे - के बीच एक एलओआई पर 23 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए। इसका उदे्दश्‍य उभरती और पुन: उत्‍पन्‍न होने वाली संक्रामक बीमारियों की रोकथाम, उपचार और/या इलाज के लिए सुलभ और किफायती टीकों के विकास और मूल्यांकन का समर्थन करने के अपने साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना।

• आईसीएमआर विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ उपर्युक्त एमओयू/संयुक्त वक्तव्यों के तहत प्रस्तावों के लिए संयुक्त कॉल को समय-समय पर संबंधित पक्षों की संबंधित वेबसाइटों पर विषय क्षेत्र के विवरण और विशिष्ट प्रारूपों में प्रस्तुत किए जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों के साथ विज्ञापित करता है।

• अन्य विदेशी फंडिंग एजेंसियों/संगठनों/फाउंडेशन से सहायता के लिए: संबंधित एजेंसी के निर्धारित प्रारूप का ही उपयोग किया जाना है। यदि कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है, तो आईसीएमआर के प्रारूप का उपयोग करके प्रस्ताव तैयार किया जाना है। फॉर्म डाउनलोड करें

• राष्ट्रीय वित्‍त पोषित एजेंसियां: भारतीय अन्‍वेषकों को स्वास्थ्य/जैव चिकित्‍सा अनुसंधान का समर्थन करने वाली अन्य भारतीय एजेंसियों (जैसे डीबीटी; डीएसटी; सीएसआईआर आदि) द्वारा विभिन्न द्विपक्षीय या बहुपक्षीय सहयोगी कार्यक्रमों के तहत जारी प्रस्तावों के लिए कॉल हेतु समय-समय पर ध्यान देने की भी सलाह दी जाती है।
आईसीएमआर में संपर्क व्यक्ति

डॉ. हरप्रीत संधू
वैज्ञानिक - जी एवं प्रमुख
अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रभाग
sandhuh.hq@icmr.gov.in
दूरभाष. 26588755
विस्तार.433
डॉ रीमा रोशन
वैज्ञानिक - सी
अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रभाग
reemaroshan.hq@icmr.gov.in
दूरभाष. 91-11-26589492
विस्तार. 237
डॉ. शुमायिला खान
वैज्ञानिक - बी
अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रभाग
shumayila.khan@icmr.gov.in
दूरभाष. 91-11-26589794,26588980
विस्तार. 347
अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रभाग (आईएचडी)
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद
वी. रामलिंगस्वामी भवन, अंसारी नगर, नई दिल्ली - 110029, भारत
वेबसाइट:https://icmr.nic.in

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